सौरमण्डल
- सूर्य तथा उसके चारों ओर परिभ्रमण करने वाले ग्रह, उपग्रह, धूमकेतु, उल्का-पिण्डो एवं क्षुद्र ग्रहों को संयुक्त रूप से सौरमण्डल कहा जाता है।
पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है। ग्रह तथा अन्य पिण्ड सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते है, इस सिद्धान्त का प्रतिपादन कॉपरनिकस ने किया था।
- सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले ग्रहों की संख्या 8 हैं।
नोट - चेक गणराज्य की राजधानी प्राग में अगस्त, 2006 में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय खगोल विज्ञानी संघ (आई ए यू ) की बैठक में यम (प्लूटो) का ग्रह का दर्जा समाप्त कर दिया गया है।
- आकर के अनुसार ग्रह हैं (घटते क्रम में) - बृहस्पति , शनि , अरुण (यूरेनस) , वरुण (नेप्च्यून) , पृथ्वी , शुक्र , मंगल तथा बुध।
- सूर्य से दूरी के अनुसार ग्रह हैं - बुध , शुक्र , पृथ्वी , मंगल , बृहस्पति , शनि , अरुण (यूरेनस) तथा वरुण (नेप्च्यून) ।
सौरमण्डल : महत्वपूर्ण तथ्य
- सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति (Jupiter)
- सूर्य का सबसे छोटा ग्रह बुध (Mercury)
- पृथ्वी का उपग्रह चन्द्रमा (Moon)
- सबसे चमकीला ग्रह शुक्र (Venus)
- सबसे चमकीला तारा साइरस (Dog Star)
- सबसे भारी ग्रह बृहस्पति (Jupiter)
- नीला ग्रह पृथ्वी (Earth)
- भोर का तारा शुक्र (Venus)
- साँझ का तारा शुक्र (Venus)
- पृथ्वी की बहन शुक्र (Venus)
- हरा ग्रह वरुण (Neptune)
- सूर्य से सबसे निकट ग्रह बुध (Mercury)
- सूर्य का सबसे छोटा ग्रह बुध (Mercury)
- सूर्य से सबसे दूर स्थित ग्रह बुध (Mercury)
- पृथ्वी के सबसे निकट ग्रह शुक्र (Venus)
- विशाल लाल धब्बे वाला ग्रह बृहस्पति (Jupiter)
- रात्रि में लाल दिखाई देने वाला ग्रह मंगल (Mars)
- सौरमण्डल का सबसे बड़ा उपग्रह गैनीमीड (Ganymede)
- सौरमण्डल का सबसे छोटा उपग्रह डीमोस (Deimos)
- सबसे अधिक उपग्रहों वाला ग्रह बृहस्पति (Jupiter)
सूर्य : एक परिचय
- पृथ्वी से दूरी - 149.8 मिलियन किमी (लगभग)
- व्यास - 1392000 किमी
- क्रोड का तापमान - 15 मिलियन केल्विन
- घूर्णन अवधि - 25.38 दिन (विषुवत रेखा के सापेक्ष), 33 (दिन ध्रुवो के सापेक्ष)
- प्रकाश मण्डल का तापमान - 5760°C
- सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में लगा समय - 8 मिनट 16.6 सेकण्ड
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पृथ्वी : मूलभूत तथ्य
- पृथ्वी की अनुमानित आयु - 4600000000 वर्ष
- भूमि क्षेत्रफल (29.08%) - 148950800 वर्ग किमी
- जलीय क्षेत्रफल - 361149700 वर्ग किमी
- (सम्पूर्ण धरातल का 70.92%) औसत घनत्व - 5.52 ग्राम/घन सेमी
- विषुवत रेखीय व्यास - 12753 किमी
- ध्रुवीय व्यास - 12710 किमी
- पृथ्वी का द्रव्यमान - 5.972 × 10^24 किलोग्राम
- समुद्रतल से पृथ्वी पर सर्वाधिक ऊँचाई - 8850 मीटर (माउण्ट एवरेस्ट)
- पृथ्वी के धरातल पर समुद्रतल से सर्वाधिक निचला स्थान - 396 मीटर मृत सागर (इजरायल, जोर्डन)
- पृथ्वी व्दारा अपने अक्ष पर घूर्णन अवधि - 23 घण्टे, 56 मिनट, 40.91 सेकण्ड
- पृथ्वी व्दारा सूर्य की परिक्रमा अवधि - 365 दिन, 5 घण्टे, 48 मिनट, 45.51 सेकण्ड
- पृथ्वी का उपग्रह - चंद्रमा
- अक्ष का कक्षा के तल से झुकाव - 23°27 '
- भूमध्य रेखा पर परिधि - 40066 किमी
- ध्रुवीय परिधि - 39992 किमी
स्थलमण्डल
पृथ्वी की आन्तरिक संरचना
- आन्तरिक संरचना से सम्बन्धित जानकारी भूकम्पी तरंगों, पृथ्वी के अन्दरूनी भागों में उच्च ताप एवं दाब तथा उल्काश्म साक्ष्यों से प्राप्त होती है।
- पृथ्वी की आन्तरिक संरचना को तीन विभिन्न परतो में बाँटा गया है।
- (1) भू-पर्पटी (2) मैंटल (3) क्रोड
भू-पर्पटी (Crust)
सबसे बाह्य परत है जिसकी मोटाई पृथ्वी की सतह से लगभग 100 किमी नीचे तक है। इसकी ऊपरी परत अवसादी चट्टानों से बनी है जिसमें सिलिका एवं एल्युमिनियम की प्रचुरता होती है।
मैंटल (Mantle)
भू-पर्पटी के नीचे पृथ्वी की सतह से 100 से 2900 किमी के मध्य स्थित है। भू-पर्पटी एवं मैंटल के मध्य पाई जाने वाली असतत सतह को मोहोरोविसिस या मोहो असतता कहा जाता है।
क्रोड या कोर (Core)
मैंटल के नीचे पृथ्वी की सतह से 2900 से 6400 किमी के मध्य स्थित है। यह निकिल व लोहे से बनी होती है।
- पृथ्वी की सतह से अन्दरूनी भाग की ओर जाने पर प्रति 32 मीटर जाने पर औसतन 1°C तापमान में वृद्धि होती है।
चट्टान
उत्पत्ति के अनुसार चट्टान तीन प्रकार की होती है।
(1) आग्नेय चट्टान , (2) अवसादी चट्टान , (3) रूपान्तरित चट्टान
- (1) आग्नेय चट्टान का निर्माण पृथ्वी के अन्दरूनी भाग से ज्वालामुखी विस्फोट के समय उत्सर्जित मैग्मा अथवा लावा के निक्षेपण से होता है।
- उदाहरण ग्रेनाइट, बेसाल्ट आदि।
- (2) अवसादी चट्टान का निर्माण अवसादों अथवा तलछटों के निक्षेपण से होता तथा इनमें जीवाश्म पाए जाते है। कोयला एवं पेट्रोलियम अवसादी चट्टानों में पाए जाते है
- उदाहरण बलुआ पत्थर , चूना पत्थर , शेल , कांग्लोमरेट आदि।
- (3) रूपान्तरित अथवा कायान्तरित चट्टान का निर्माण अवसादों एवं आग्नेय चट्टानों में ताप , दाब एवं रासायनिक अभिक्रियाओं के परिणामस्वरूप हुए परिवर्तन के कारण होता है।
- उदाहरण नीस , संगमरमर , क्वार्टजाइट , स्लेट , सिस्ट आदि।
भूकम्प
पृथ्वी के अन्दरूनी भाग में कई प्रकार की भू-गर्भिक प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप धरातल में उत्पन्न कम्पन को भूकम्प कहा जाता है।
केन्द्र (Focus)
पृथ्वी की सतह के नीचे जिस स्थान पर भूकम्प की उत्पत्ति होती है , उसे केन्द्र कहा जाता है।
अधिकेन्द्र (Epicentre)
केन्द्र के ठीक ऊपर पृथ्वी की सतह पर स्थित स्थान को अधिकेन्द्र कहा जाता है।
- विश्व में सर्वाधिक भूकम्प प्रशान्त महासागरीय तटीय पेटी में उत्पन्न होते है। विश्व में सर्वाधिक भूकम्प जापान में उत्पन्न होते है।
वायुमण्डल
वायुमण्डल का संगठन
- गैस प्रतिशत आयतन
- नाइट्रोजन 78.08
- ऑक्सीजन 20.92
- ऑर्गन 0.93
- कार्बन डाइऑक्साइड 0.03
- नियॉन 0.0018
- हीलियम 0.0005
- ओजोन 0.00006
- हाइड्रोजन 0.00005
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वायुमण्डल की संरचना
वायुमण्डल की प्रमुख परते है
(1) क्षोभमण्डल (Troposphere)
- यह वायुमण्डल की सबसे निचली परत है जिसमें वायुमण्डल के सम्पूर्ण भार का लगभग 75% पाया जाता है।
- सभी मौसमी घटनाएँ इस परत में सम्पन्न होती है।
- इस परत में ऊँचाई के साथ तापमान में गिरावट होती है
- धरातल से इसकी ऊँचाई 8 किमी (ध्रुवों पर) तथा 18 किमी (विषुवत रेखा पर) है।
(2) समतापमण्डल (Stratosphere)
- यह 18 से 32 किमी की ऊँचाई तक पाया जाता है।
- इस परत में ताप समान रहता है।
- जलवाष्प एवं धूल-कण नहीं पाए जाते है, बादलों का निर्माण नहीं होता है तथा मौसमी घटनाएँ नहीं घटती है।
- वायुयान चालकों के लिए आदर्श परत है।
(3) मध्यमण्डल (Mesosphere)
- यह समतापमण्डल की सीमा से 60 किमी की ऊँचाई तक फैला हुआ है।
- ओजोन परत (20-40 किमी) की उपस्थिति के कारण इसे ओजोन मण्डल भी कहा जाता है।
- इस परत में तापमान ऊँचाई के साथ बढ़ता है।
(4) आयनमण्डल (Ionosphere)
- यह 60 किमी में 640 किमी तक विस्तृत है।
- इस परत व्दारा छोटी रेडियो तरंगें परावर्तित की जाती है।
- संचार उपग्रह इसी परत में अवस्थित होते है।
(5) बहिर्मण्डल (Exosphere)
- यह आयनमण्डल के ऊपर की परत है जिसकी कोई ऊपरी सीमा निर्धारित नहीं है।
- इस परत में हाइड्रोजन एवं हीलियम गैसों की प्रधानता होती है।
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