स्थिति एवं विस्तार
- भारत एशिया महाव्दीप के दक्षिणी भाग में स्थित है। यह तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ है। हिन्द महासागर इसके दक्षिण में है। भारत की अवस्थिति उत्तरी गोलार्द्ध में है।
- भारत का विस्तार 8° 4′ उत्तरी अक्षांश से 37° 6′ उत्तरी अक्षांश तक तथा 68° 7′ पूर्वी देशान्तर 97° 25′ पूर्वी देशान्तर तक है।
- कर्क रेखा देश को लगभग दो बराबर हिस्सों में बाँटते हुए 8 राज्यों - गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा तथा मिजोरम से होकर गुजरती है
- भारत का मानक समय इलाहाबाद के नैनी नामक स्थान से लिया गया है, जो 82° 30′ पूर्वी देशान्तर पर स्थित है। यह समय ग्रीनविच माध्य समय से 5 घण्टे 30 मिनट आगे है।
- भारत का क्षेत्रफल 3287263 वर्ग किलोमीटर है क्षेत्रफल में भारत का विश्व में सातवाँ स्थान है।
- जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में भारत का चीन के बाद दूसरा स्थान है।
- विश्व की कुल भूमि का 2.4% भाग भारत के पास है, जबकि विश्व की लगभग 16% जनसंख्या निवास करती है।
- क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है।
- क्षेत्रफल की दृष्टि से गोवा भारत का सबसे छोटा राज्य है।
- केंद्रशासित प्रदेशों में अण्डमान- निकोबार व्दीप समूह का क्षेत्रफल सबसे अधिक तथा लक्ष्यव्दीप का सबसे कम है।
- भारत की स्थलीय सीमा की लम्बाई 15200 किमी तथा व्दीप सहित जलीय सीमा की लम्बाई 7516.6 किमी है।
- मुख्य धरातलीय भाग की समुद्री सीमा की लम्बाई 6100 किमी है। भारत में सबसे लम्बी तट रेखा वाला राज्य गुजरात है।
- भारत की प्रादेशिक जल सीमा 12 समुद्री मील की दूरी तक है।
- भारत के सबसे दक्षिणतम बिन्दु इन्दिरा प्वॉइंट है और यह बंगाल की खाड़ी में स्थित ग्रेट निकोबार व्दीप पर है।
- बंगाल की खाड़ी में स्थित अण्डमान- निकोबार व्दीप समूह में बैरन तथा नारकोण्डम नामक दो ज्वालामुखी पाए जाते है।
- अरब सागर में स्थित लक्ष्यव्दीप प्रवाल भित्ति से निर्मित है।
प्रमुख दर्रे
दर्रा अवस्थिति
- शिपकीला, बड़ालाचाला - हिमाचल प्रदेश
- माना, लिपुलेख - उत्तराखण्ड
- नाथूला, जेलेपला - सिक्किम
- बोमडीला, दिफू - अरुणाचल प्रदेश
- थल घाट, भोर घाट - महाराष्ट्र
- पाल घाट - केरल
- कराकोरम, जोजिला, बनिहाल, बुर्जिल - जम्मू-कश्मीर
भारत की भौगोलिक संरचना
विभिन्न विशेषताओं के आधार पर भारत को निम्नलिखित चार भौतिक प्रदेशों में विभाजित किया जा सकता है
1. उत्तर का पर्वतीय क्षेत्र
2. उत्तर भारत का विशाल मैदान
3. प्रायद्वीपीय पठार
4. तटवर्ती मैदान एवं द्वीपीय भाग
उत्तर भारत का पर्वतीय क्षेत्र
यह क्षेत्र हिमालय पर्वतमाला के रूप में सिन्धु नदी के मोड़ से प्रारम्भ होकर ब्रह्मपुत्र नदी के मोड़ तक फैला है । पूर्व से पश्चिम तक इसकी लम्बाई 2500 किमी तथा चौड़ाई 160 से 400 किमी के मध्य पाई जाती है ।
हिमालय पर्वत श्रेणी को तीन भागों में बाँटा जाता है
I. वृहद् हिमालय या आन्तरिक हिमालय
- इसकी औसत ऊँचाई 6000 मी है ।
- विश्व की सर्वाधिक ऊँची चोटियाँ इसी श्रेणी में पाई जाती हैं ।
- माउण्ट एवरेस्ट या सागरमाथा इसकी सबसे ऊँची चोटी है ।
- अन्य चोटियाँ हैं कंचनजंघा , मकालू , धौलागिरि , नंगा पर्वत , अन्नपूर्णा , नन्दा देवी ।
II. लघु हिमालय या हिमालय श्रेणी
- इसका विस्तार मुख्य हिमालय के दक्षिण में है । इसकी औसत ऊँचाई 3700-4500 मी है ।
- पीरपंजाल , धौलाधर , नागटिब्बा , महाभारत आदि श्रेणियाँ इसी लघु हिमालय में हैं ।
- कश्मीर , काठमाण्डू , काँगड़ा और कुल्लू घाटियाँ इसी श्रेणी में हैं । ( अर्थात् मध्य हिमालय और शिवालिक के बीच )
- भारत के महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल शिमला , मसूरी , नैनीताल , चकराता , रानीखेत , दार्जिलिंग इसी श्रेणी में हैं ।
III. शिवालिक या बाह्य हिमालय
* यह हिमालय के सबसे दक्षिणी श्रेणी या पाद श्रेणी है । इसकी औसत ऊँचाई 600 से 1500 मी है । इसमें मिट्टी और कंकड़ के बने ऊँचे मैदान मिलते हैं , जिन्हें पश्चिम में दून ( देहरादून ) तथा पूर्व में द्वार ( हरिद्वार ) कहते हैं । इसके पश्चात् भारत के विशाल मैदान की शुरुआत होती है ।
उत्तर भारत का विशाल मैदान
इस मैदान की अवस्थिति हिमालय पर्वत तथा दक्षिणी प्रायद्वीपीय पठार के मध्य है । यह मैदान सिन्धु , गंगा , ब्रह्मपुत्र तथा प्रायद्वीपीय भारत से आने वाली नदियों द्वारा बहाकर लाई गई मिट्टी के जमा होने से निर्मित हुआ है । मिट्टी की विशेषताओं के आधार पर , इस मैदान को निम्न चार भागों में विभाजित किया गया है
1. भाबर प्रदेश
यह प्रदेश सिन्धु नदी से तिस्ता नदी के मध्य स्थित है । इस मैदान को शिवालिक का ' जलोढ़ पंखा ' भी कहा जाता है । यह मैदान हिमालयी नदियों द्वारा लाई गई कंकड़ - पत्थर से निर्मित हुआ है ।
2. तराई प्रदेश
इसका विस्तार भाबर प्रदेश के ठीक दक्षिण में है यह निम्न समतल मैदान है जहाँ नदियों का पानी फैलकर दलदल वाले क्षेत्रों का निर्माण करता है ।
3. बांगर प्रदेश
इस मैदान का निर्माण प्राचीन काल में नदियों द्वारा बहाकर लाई गई मिट्टी के जमा होने से बना है । जैसे गंगा - यमुना दोआब एवं सतलज का मैदान ।
4. खादर प्रदेश
नदियों के किनारों पर स्थित भू - भाग खादर प्रदेश कहलाता है । खादर प्रदेश में ही नदियों की बाढ़ का पानी फैलता है ।
प्रायद्वीपीय पठार
यह भू - भाग उत्तर में विशाल मैदान तथा दक्षिण में तीन ओर से समुद्र से घिरा है । इस पठार के अन्तर्गत अरावली पर्वत माला सहित निम्न पर्वत श्रेणी एवं भू - भाग आते हैं
पश्चिमी घाट या सह्याद्रि श्रेणी .
पश्चिमी घाट पर्वत का फैलाव ताप्ती नदी घाटी से नीलगिरि पहाड़ी तक है । पश्चिमी घाट एक भ्रंश कगार है ।
• इस श्रेणी में चार प्रमुख दरें हैं
1. थाल घाट नासिक को मुम्बई से जोड़ता है ।
2. भोर घाट मुम्बई को पुणे से जोड़ता है ।
3. पाल घाट यह केरल में है जो दक्षिण भारत के दो शहर कोच्चि और कोयम्बटूर को जोड़ता है ।
4. सेनकोटा दर्रा तिरुअनन्तपुरम एवं मदुरै को जोड़ता है ।
* पश्चिमी घाट पर्वत पर ही भारत का प्रसिद्ध जलप्रपात शरावती नदी का गरसोप्पा ( महात्मा गाँधी ) जलप्रपात है ।
पूर्वी घाट पर्वत
* इसका विस्तार ओडिशा से तमिलनाडु तक है और यह श्रेणी लगभग 1300 किमी लम्बी है ।
नीलगिरि पर्वतमाला
* नीलगिरि की पहाड़ियाँ पश्चिमी घाट व पूर्वी घाट की मिलनस्थली हैं ।
* नीलगिरि का सर्वोच्च शिखर डोडाबेट्टा ( 2623 मी ) है जो दक्षिण भारत का दूसरा सर्वोच्च शिखर है ।
तटवर्ती मैदान
* तटीय मैदान का विस्तार प्रायद्वीपीय पर्वत श्रेणी तथा समुद्र तट के मध्य हुआ है ।
* पश्चिम तटीय मैदान का विस्तार सूरत से कन्याकुमारी तक है । इसे पुन : 4 भागों में बाँटा जा सकता है । इसकी चौड़ाई गुजरात में नर्मदा एवं ताप्ती के मुहाने के समीप ( 80 किमी ) है ।
* पश्चिमी तट ( मालाबार ) पर कुछ पश्चजल ( Back water ) पाए जाते हैं जिन्हें केरल में कयाल कहते हैं । उदाहरण बेम्बनद एवं अष्टमुडी ।
* पूर्वी तटीय मैदान पूर्वी घाट एवं समुद्री तट के बीच स्वर्ण रेखा नदी से कन्याकुमारी तक फैला है ।
* पूर्वी तटीय मैदान पश्चिम तटीय मैदान की अपेक्षा अधिक चौड़ा है जिसका कारण है गोदावरी , कृष्णा एवं कावेरी जैसी नदियों के द्वारा डेल्टा का निर्माण ।
* तमिलनाडु का पूर्वी तट ' कोरोमण्डल तट ' कहलाता है जबकि गोदावरी और महानदी के बीच का पूर्वी तटीय मैदान ' उत्तरी सरकार ' के नाम से जाना जाता है ।
* पश्चिमी तट पर कोंकण ( दमन तथा गोवा के बीच ) और मालाबार तट ( केरल ) प्रमुख हैं ।
* पुलिकट एक वलयाकार प्रवाल झील है जो श्रीहरिकोटा द्वीप द्वारा समुद्र से अलग है ।
भारतीय द्वीप समूह
भारत में द्वीपों की कुल संख्या लगभग 247 है , जिनमें 204 बंगाल की खाड़ी में तथा शेष अरब सागर तथा मन्नार की खाड़ी में स्थित हैं ।
अण्डमान एवं निकोबार द्वीप समूह
* यह द्वीप समूह बंगाल की खाड़ी में स्थित है ।
* इस द्वीप समूह की सर्वोच्च चोटी सैडल चोटी ( 738 मी ) उत्तरी अण्डमान में एवं दूसरी सवोच्च चोटी माउण्ट थूलियर ( 642 मी ) ग्रेट निकोबार में है ।
* भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी बैरन इसी द्वीप समूह में है । नारकोण्डम सुषुप्त ज्वालामुखी भी इसी में है ।
* भारत का सबसे दक्षिणी बिन्दु ' इन्दिरा - प्वॉइण्ट ' ग्रेट निकोबार में स्थित है । यह भूमध्य रेखा के निकट है ।
* बंगाल की खाड़ी के द्वीप अरब सागरीय द्वीपों की तुलना में अधिक बड़े हैं ।
लक्षद्वीप समूह
* यह द्वीप समूह अरब सागर में स्थित है । इस समूह में कुल 36 द्वीप हैं । ये सभी प्रवाल भित्ति ( Coral Reefs ) द्वारा बने द्वीप हैं ।
* इसमें तीन द्वीप मुख्य है - लक्षद्वीप ( उत्तर में ) , मिनीकॉय ( दक्षिण में ) , कावारत्ती ( मध्य में ) ।
• मिनीकॉय लक्षद्वीप समूह का सबसे बड़ा द्वीप है ।
* चैनल कावारत्ती को मिनीकॉय से अलग करता है । 8 ° चैनल मिनीकॉय द्वीप ( भारत ) को मालदीव से अलग करता है ।
* श्रीहरिकोटा द्वीप प्रवाल निर्मित यह द्वीप पुलीकट झील के अग्रभाग में ( नेल्लौर के निकट ) स्थित है
* पम्बन द्वीप मन्नार की खाड़ी में भारत और श्रीलंका के मध्य स्थित है ।
* न्यू मूर द्वीप यह द्वीप बंगाल की खाड़ी में बांग्लादेश तथा भारत की सीमा पर अवस्थित है । ( हुगली के निकट ) यह भारत और बंग्लादेश का विवादित क्षेत्र है ।
नाम अवस्थिति
8 ° चैनल - मालदीव व मिनीकॉय
9 ° चैनल - लक्षद्वीप व मिनीकॉय
10 ° चैनल - अण्डमान व निकोबार
ग्रैण्ड चैनल - इण्डोनेशिया व भारत
पाक खाड़ी - भारत व श्रीलंका
कोको स्ट्रेट - कोको द्वीप ( म्यांमार ) व उत्तरी अण्डमान
लक्षद्वीप सागर - लक्षद्वीप व मालाबार
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